नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से पहले उसमें सुधार करने अथवा देश में चल रहे हालातों को देखते हुए उसे रोकने की मांग को लेकर राजस्थान में अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के दीवान व धर्मगुरु सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखा है।
दीवान द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को आज भेजे गए पत्र में मांग की गई है कि कानून को लेकर देश में उपजे हालातों को देखते हुए इसे लागू करने से पहले इसमें सुधार किया जाए। पत्र में लिखा गया है कि दूसरे भारतीयों की तरह मुसलमान भी उतना ही भारतीय व देशभक्त है, इसलिए कोई भी कानून बनाने अथवा लाए जाने से पहले मुसलमानों की भावनाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। दीवान ने लिखा कि भारत के मुसलमान ने यहां जन्म लिया और यह उसकी मातृभूमि है। अन्य भारतीयों की तरह यहाँ का मुसलमान भी मातृभूमि की सेवा कर रहा है। देशभक्ति का इससे ज्यादा क्या प्रमाण दिया जा सकता है। ऐसे में नागरिकता संशोधन कानून पर उपजे विवाद को देखते हुए इसे लागू करने से पहले सुधार किया जाए अथवा स्थगित कर दिया जाए।
मालूम हो कि दरगाह दीवान ने करीब पांच दिन पहले मामले में चुप्पी तोड़ते हुए सी.ए.ए., एन.आर.सी. का यह कहते हुए समर्थन किया था कि कानून मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। लेकिन इस बयान के बाद आज बिलकुल उलट उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मुसलमानों के विरोध का प्रत्यक्ष तौर पर समर्थन कर दिया है। खास बात यह है कि दरगाह दीवान के समर्थन वाले बयान के बाद देशभर में मुसलमानों के बीच विपरीत प्रतिक्रिया हुई थी। यहां तक की महाराष्ट्र के नासिक में उनके बयान के विरोध में पोस्टर तक लगा दिए गए थे। शायद यही कारण है कि दरगाह दीवान को किसी दबाव में आज मुसलमानों के समर्थन में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पत्र लिखना पड़ा।