भाषा शिक्षण पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज राजस्थान में अजमेर स्थित क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान सभागार में आयोजित किया गया। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. सिंह ने युवा पीढ़ी का आह्वान किया कि उनके लिए भाषा को समझना बहुत जरूरी है। कोई भी भाषा किसी भी व्यक्ति से दूर नहीं है केवल भाषा की विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए भाषा ज्ञान को समझना है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति का सरल माध्यम भाषा ही है और भाषा के जरिए शब्दों के माध्यम से उसके क्षेत्रीय अंतर को भी दूर किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के सहयोग से अजमेर के क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान में इस तरह के सम्मेलन का आयोजन किया गया है। ऐसे सम्मेलन युवा विद्यार्थियों को ज्ञान देते हैं जिससे उनमें ज्ञानवर्धन होता है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि अपने अंदर भाषा ज्ञान की प्रवृत्ति विकसित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा विद्वानों व शिक्षाविदों के संपर्क में रहे ताकि उनके ज्ञान में वृद्धि हो सके। उन्होंने कहा कि भाषा प्रकृति से मिलती है और जिस क्षेत्र की जैसी प्रकृति होती है उसी आधार पर वहां की भाषा भी विकसित होती है। यही कारण है कि अंग्रेजी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोली व समझे जाने वाली होने के बावजूद इसका उपयोग कुछ ही देशों में व्यापक रूप से होता है। भाषा को जानना और उसका अच्छी तरह से सही अर्थ निकालना ही भाषा ज्ञान है। उन्होंने देश की प्रमुख हिंदी, संस्कृत, उर्दू तथा अंग्रेजी के भाषाई ज्ञान अपनाने पर भी जोर दिया।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि पद्मश्री प्रो. चंद्रप्रकाश देवल ने सभागार में उपस्थित शिक्षक, प्रशिक्षक, शोधार्थी तथा विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे भाषाओं का बारिकी से अध्ययन करें और बहुभाषित व सांस्कृतिक देश की परंपराओं को ध्यान में रखते हुए उसको अपनाए लेकिन अर्थ का अनर्थ न हो इस बात का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि भाषा विज्ञान पर चर्चा के लिए एक अच्छा मंच मिला है जिसका वे भरपूर उपयोग करें। इस मौके पर क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के प्राचार्य प्रो. नगेंद्र सिंह, अंग्रेजी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (इफलू), लखनऊ कैंपस के निदेशक प्रो. रजनीश अरोड़ा, मगध विश्वविद्यालय बोधगया के प्रो. सुनील कुमार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय उर्दू विभाग के प्रो. जियाउर्रहमान सिद्दिकी तथा लेखक राजीव रंजन राय ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कुलपति आर.पी. सिंह व अन्य अतिथियों ने सोविनियर का विमोचन भी किया।
आयोजन संयोजक प्रो. राजेश मिश्रा ने बताया कि तीन दिवसीय इस भाषा शिक्षण राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रांतों उत्तरप्रदेश, बिहार, उड़ीसा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, पांडेचेरी, राजस्थान सहित अनेकों जगह से शिक्षाविद सहभागिता निभा रहे है। इन तीन दिनों में चुनिंदा 101 शोधपत्रों का वाचन कर भाषा शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर गहन चिंतन व विचार विमर्श होगा तथा नवाचारों के प्रयोग पर भी चर्चा की जाएगी। तीन दिवसीय इस सम्मेलन में कुल छह सत्र होंगे। सम्मेलन के दौरान अनुवादित दस्तावेजों में भाषा का सामंजस्य बना रहे तथा नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर भी संवाद किया जाएगा। समापन 13 दिसंबर को होगा।