राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर नागरिक संशोधन कानून के विरोध में ' काले झण्डे ' फहराये गये हैं ।
सीएए व एनआरसी विरोधी संघर्ष समिति अजमेर के आवाहन पर दरगाह क्षेत्र के दुकानदारों व दरगाह के मुख्य निजाम गेट पर काले झण्डे लगाकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है । इतना ही नहीँ समिति के आवाहन पर मुस्लिम समुदाय आज होने वाली जुम्मे की नमाज के दौरान काली पट्टी बांध कर नमाज अदा करेगा । तथा घरों व दुकानों पर काले दण्डे लगाकर विरोध दर्ज करायेगा । खास बात ये है कि एक ओर दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन ने बीते कल कानून को मुसलमान के खिलाफ न होने की वकालत की थी तो दूसरी ओर शहर काजी मौलाना तौसिफ अहमद सिद्दीकी का कहना है कि - ये काला कानून देश की सदियों पुरानी सांझी विरासत को तोड़ने वाला है ।
दरगाह शरीफ के बाहर जो बैनर लगाया गया है उस पर भी " तिलक टोपी पगड़ी तो ताकत है देश की , तो फिर यह सरकार क्यों बांटती है आपस में ? " नयी विभाजन कारी नागरिक संशोधन अधिनियम को वापस लेने की मांग के साथ, संविधान पर हमला बंद करने की कही गई है । संघर्ष समिति ने मुसलमानों से आवाहन किया है कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती , हमें शांत नहीं बैठना है ।
मुसलमानों के विरोध को देखते हुए दरगाह क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है । मालूम हो कानून का विरोध अजमेर में सबसे पहले दरगाह शरीफ से खादिम समुदाय ने शुरु किया और संघर्ष समिति को इनका समर्थन प्राप्त है ।